राजीव गांधी जलकृषि केंद्र (आरजीसीए), एमपीईडीए की अनुसंधान एवं विकास शाखा है, और चिरस्थायी कृषि प्रौद्योगिकियों के माध्यम से भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ाने के लिए समर्पित है। संगठन जो एमपीईडीए के तहत एक सोसाइटी के रूप में ना लाभ ना हानि आदर्श वाक्य पर कार्य करता है, न केवल श्रिंप बल्कि सीबास, कोबिया, पोम्पानो, तिलापिया, ग्रुपर्स, कीचड केकडा जैसी विविध प्रजातियों की कृषि प्रौद्योगिकियों में भी सफल रहे है । विजिनजम, केरल में पायलट पैमाने पर समुद्री फिनफिश हैचरी परियोजना, ए एंड एन द्वीपों में ग्रूपर परियोजना और तमिलनाडु के तोडुवाई में सीबास और कीचड केकडा हैचरी परियोजनाओं के साथ हमारे देश में प्रचलित प्रतिबंधित प्रजाति संवंर्धन प्रक्रियां की मौजूदा प्रवृत्ति को बदलने के लिए आरजीसीए पूरी तरह से तैयार है । यद्यपि, तटीय जलकृषि मुख्यत: श्रिंप केंद्रित रही है और मुख्यत: श्रिंप व्दारा निर्यात राजस्व का योगदान दिया गया था। लेकिन विविध प्रजातियों की कल्चर प्रौद्योगिकियों में लेकिन आरजीसीए द्वारा अपनाए गए अनुप्रयुक्त अनुसंधान के साथ, भारत अब परंपरागत के अलावा, उच्च मूल्यवाले फिनफिश और शेल फिश प्रजातियों के निर्यात से अपने निर्यातोन्मुख जलकृषि आधार के विस्तार के लिए तत्पर हैं ।
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